कर्म की छाया मिलेगी हर ठाँव में।
जो बोया है तुमने कभी चुपके से,
उगा मिलेगा किसी दिन सरेआम में।
धोखे से मिली जो जीत की ताली,
वक़्त उसके नीचे रखता है खाली थाली।
जिसे तुमने ठुकराया मजबूरी कहकर,
वो ही पल लौटेगा कहानी बनकर।
भागते रहो जीवन भर रिश्तों से, सच से,
कर्म बुनता रहेगा जाल हर पक्ष से।
जो आँसू दिए थे बिना वजह किसी को,
वही बनकर लौटेगा बूँद-बूँद बारिश को।
कसम से ये ब्रह्मांड किताब नहीं भूलता,
हर हरकत का लेखा-जोखा खुलता।
तुम समझते रहे खुद को चालाक खिलाड़ी,
कर्म ने बिछाई अपनी चालें प्यारी।
कभी सोचो –
किसी का अपमान, किसी का हक़ छीना,
कहीं कोई माँ तो कहीं बेटा रोया सीना।
तुम आगे बढ़े पर पीछे बहुत कुछ गिरा,
अब वो ही कर्म बनकर तुमसे आ मिलेगा।
तो अब भी समय है,संभल जाओ जी।
किस्मत नहीं, कर्म बदलो, वरना फिर पूछोगे –
"मेरे साथ ही क्यों?"और जवाब आएगा –
"कर्म से कहाँ भाग के जाओगे जी?"
By Vikas K Singh
Nice line 👌🏻 👏
ReplyDeleteThank You So Much
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