सच होता है, हमेशा होता है,
चाहे लाख धुँध में छुपा रहे,
वो सूरज की तरह उदय होता है,
धीरे-धीरे, पर यकीनन होता है।
झूठ दौड़ता है तेज़, पर हाँफ जाता है,
सच धीरे चलता है, पर ठहर जाता है।
भीड़ भले ताली दे झूठ के नाम,
पर अंत में सच ही पाता है सम्मान।
सच रोता है, घुटता है, सहता है,
कभी गूंगा, कभी बहरा सा लगता है।
मगर जब बोलता है, तो दुनिया चुप हो जाती है,
हर नकाब उतर जाता है, हर आँख नम हो जाती है।
सच वो आईना है जो टूटा नहीं करता,
हर चेहरे की असलियत दिखा दिया करता।
सच वो बीज है, जो वक्त पर उगता है,
सूखे ज़मीन से भी हरियाली ला देता है।
जो सच के साथ चलता है, अकेला नहीं होता,
वो खुदा के सबसे क़रीब होता।
क्योंकि वक़्त के साथ सबकुछ मिटता है,
बस 'सच' ही है जो रह जाता है।
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सच होता है… और हमेशा होता है।
By Vikas K Singh
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